अनुभूति में ज़ाकिर
ख़ान ज़ाकिर की रचनाएँ-
अंजुमन में-
ऐसे तेरा ख़याल
कुछ खुशियाँ
ज़र्द पत्ते
दिल के टुकड़े
ग़म मिलते हैं
छंदमुक्त में-
कर्फ्यू
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गम मिलते हैं
सबसे हमको गम मिलते हैं
फिर भी सबसे हम मिलते हैं
बेगाने से क्यों लगते हो
आपसे जब भी हम मिलते हैं
प्यार पे कोई रोक नहीं है
प्यार में लेकिन ग़म मिलते हैं
तेरी आँखों की रिम-झिम में
सावन के मौसम मिलते हैं
जीवन के रस्ते में अक्सर
हर पल पेचो-ख़म मिलते हैं
दर्द सा उनको क्यों होता हैं
प्यार से जब तुम हम मिलते हैं
हथियारो से लैस है मस्जिद
मंदिर में भी बम मिलते हैं
दुनिया की इस भीड में 'जाक़िर'
इंसाँ कितने कम मिलते हैं
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९ जुलाई २००५
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