अनुभूति में ज़ाकिर
ख़ान ज़ाकिर की रचनाएँ-
अंजुमन में-
ऐसे तेरा ख़याल
कुछ खुशियाँ
ज़र्द पत्ते
दिल के टुकड़े
ग़म मिलते हैं
छंदमुक्त में-
कर्फ्यू
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ऐसे तेरा खयाल आ जाए
दिल की खिलवतों के आलम
में
ऐसे तेरा खयाल आजाए
जैसे खामोश झील का पानी
कंकरी पाके झिलमिला जाए
जैसे कोई किशन के मंदिर में
आए और घंटिया बजा जाए
जैसे सहरा की सूखी धरती पर
चन्द कतरे घटा गिरा जाए
९ जुलाई २००५
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