अनुभूति में
नरेश सोनी की रचनाएँ—
नई रचनाएँ-
जी करता है
तेरे बिन
बहन की याद
मुसकुराना मत छोड़ना
वो छोटा सा पत्थर
कविताओं में-
चेहरों के पीछे
ये शहर
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जी
करता है
चुप रह लिए कि कुछ कहने को जी करता है
बहुत कह लिए कि कुछ करने को जी करता है
बना ही रहा एक किस्सा मैं दोस्तों के बीच
सब हंस लिए कि खुद हँसने को जी करता है
बाँटता रहा भरम कि मुसकुराता रहा हूं मैं
थक गया हूं मैं अब सिसकने को जी करता है
बना था चिराग़ कि रोशनी कि खातिर
जल गई है लौ अब बुझने को जी करता है
क्या करुँ कि कुछ करने को जी करता है
24 जून 2007 |