अनुभूति में
नरेश सोनी की रचनाएँ—
नई रचनाएँ-
जी करता है
तेरे बिन
बहन की याद
मुसकुराना मत छोड़ना
वो छोटा सा पत्थर
कविताओं में-
चेहरों के पीछे
ये शहर
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बहन की याद
मुझसे वफ़ाएँ तेरी मुझको याद आती है
तुझसे जफ़ाएँ मेरी मुझको याद आती है
हमें जो मुसकुराहटों में फिर से देखना चाहो
तो वापस लौट के आओ कि तेरी याद आती है
वो मेरे गुनाह अपने सर कबूल करना तेरा
वो मेरी सज़ाएँ अपने सर कबूल करना तेरा
कि मुझको बचा के मुश्किलों से दूर कर देना
वो तेरी डाँटती सी हर हंसी अब याद आती है
वो मेरे ग़मों में तुझको अपने पास पाना मेरा
वो तेरी खुशी में खुद को तेरे पास पाना मेरा
कि तेरे हर ग़मों से मुझको तेरा दूर कर देना
कि तेरी दिल को छूती हर हंसी अब याद आती है
वो तेरी नर्म छांव इरादे मेरे गर्म करती थी
वो तेरी गर्म बोली बोली मेरी नर्म करती थी
वो तेरा बिन बातों के बिन मतलब ही ताव खा जाना
कि तेरी मीठी सी लड़ती हंसी अब याद आती है
मुझसे वफ़ाएँ तेरी मुझको याद आती है
तुझसे जफ़ाएँ मेरी मुझको याद आती है
24 जून 2007 |