हे जीव जगत के
हे जीव जगत के मनुज सुन,
तू बलशाली है थक हार नहीं।
जीत तेरी हर सुबह होगी,
मानेगा जब तक तू हार नहीं।
माना है रस्ता पथरीला,
तू पल पल इसे निहार नहीं।
तू सफल नहीं है आज मगर,
खुद को असफल स्वीकार नहीं।
है अदम्य साहस का मालिक,
डरना तेरा व्यवहार नहीं।
तू रखता है शस्त्र हौसला,
घबराना तेरा प्रहार नहीं।
जश्न विजय पर गाने वाले,
ईद दिवाली ही तेरा त्यौहार नहीं।
पाना खोना खेल है जीवन,
दर्द ही इसका सार नहीं।
१४ अप्रैल २००८
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