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अनुभूति में गौतम जोशी की रचनाएँ

अलग मंज़िलें
खेल आया हूँ
बचपन
बस तुझे चाहती हूँ
मलाल करते हैं
सरकारी

 

सरकारी

इस मोड़ से आना-जाना जारी है
बिछा है बाज़ार, भाव लगाना जारी है

हर चौराहे पे खड़े हैं बड़े कोतवाल
बिकना-बिकना, इल्ज़ाम लगाना जारी है

गली के उस मोड़ पर हैं सरकारी दफ्तर
ढेरों काम पड़ा हैं, आराम फ़रमाना जारी है

बढ़ने लगी है तादाद लाला-बनियों की
रिश्ते बनाना, धंधा बढ़ाना जारी है

महँगे भाव बिकने लगी है शक्कर-मिर्ची
कसैले अलफ़ाज़ों का यों ही झरना जारी है

रुपयों से भर जाता है हर शाम थैला
रिश्तों में प्यार की गरीबी बदस्तूर जारी है

9 जून 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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