अनुभूति में
गौतम जोशी की
रचनाएँ
अलग मंज़िलें
खेल आया हूँ
बचपन
बस तुझे चाहती हूँ
मलाल करते हैं
सरकारी
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बचपन
धूप मुझको छूती नहीं
बारिश मुझको भिगोती नहीं
ठंड में मुझको सिहरन नहीं
पतझड़ से मेरी अनबन नहीं
मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ।
हर कदम मेरा मुस्कुराहट है
छोटी-छोटी-सी मेरी चाहत है
एक अँगड़ाई से दर्द गुज़रता है
मेरी आँखों में ख़्वाब ठहरता है
मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ।
पतंगें नहीं, ये मेरी जान है
भँवरा नहीं, ये मेरा अरमान है
धूल में सनी दोपहर होती है
मेरे चाँद की भी चोरी होती है
मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ।
हर ताल पर थिरकना आता है
कीचड़ से कपड़े भिगोना आता है
यारों की जुदाई पर रोना आता है
मैं ही हूँ, जिसे जीना आता है
मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ, मैं बचपन हूँ।
9 जून 2007
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