अनुभूति में
अंशुमान अवस्थी की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
ओ खरीदार
दिनचर्या
धूप के रंग
पता
प्रेम: चार कविताएँ
मैं न आऊँगा
यह कोई व्यथा कथा नहीं
यादें
क्षणिकाएँ
धुआँ
धुआँ ज़िन्दगी |
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यादें
कभी तितली की तरह शर्मीली
कभी मक्खी की तरह ढीठ
यादें
खट्ठी मीठी इमली की तरह
जैसे कोई फूल खिला हो
और बिखर गया हो
यादें
जमीन पर बिछी पंखुड़ियों की तरह
जाड़े की नरम धूप
मथानी की थिरकन
यादें
रोटी की सोंधी खुशबू की तरह
उनका अपना देश
उनके अपने चरित्र
यादें
सौ साल तक सोई राजकुमारी की तरह
पेड़ से गिरा अखरोट
मुर्गी की अपनी समझ
यादें
एक टुकड़ा टुटे आसमान की तरह
वो होली के रंग
पटाखों की जंग
यादें
गाँव-घर के त्योहार की तरह
ढेर सारे खिलौने
ढेर सारा प्यार
यादें
जैसे घर- माँ के आँचल की तरह
१५ अक्तूबर २००० |