अनुभूति में
अंशुमान अवस्थी की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
ओ खरीदार
दिनचर्या
धूप के रंग
पता
प्रेम: चार कविताएँ
मैं न आऊँगा
यह कोई व्यथा कथा नहीं
यादें
क्षणिकाएँ
धुआँ
धुआँ ज़िन्दगी |
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ओ
खरीदार
मेरे पास
बहुत कुछ ऐसा है
जिसकी मुझे
अब आवश्यकता नहीं
कुछ यादें
अनचाहे सशर्त समर्पण
तिक्त भावनाएँ
और एक धुँधला दर्पण
कुछ अधूरे पत्र
धूल अटी डायरियाँ
और दो चार
अनबूझी पहेलियाँ
ओ खरीददार
खरीदोगे यह सब
मैं अब
अनुभव करना चाहता हूँ
जीवन की ऊष्णता
अपनी प्रेमिका के
नर्म मुलायम हाथ
तोड़कर सारे बन्धन
हरे पेड़ों की छाँव तले
क्या तुम खरीदोगे
मुट्ठी भर धूप के बदले
मेरा मकान
ओ खरीददार
मैं देखना चाहता हूँ
अपनी प्रेमिका की आँखों में
जहाँ सिमटा है
सारा विस्तार
असीम प्यार
क्या तुम खरीदोगे
प्रेम की एक मीठी टीस के बदले
मेरे हिस्से का आसमान
ओ खरीददार
१५ अक्तूबर २०००
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