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अनुभूति में अंशुमान अवस्थी की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
ओ खरीदार

दिनचर्या
धूप के रंग
पता
प्रेम: चार कविताएँ
मैं न आऊँगा
यह कोई व्यथा कथा नहीं
यादें
क्षणिकाएँ
धुआँ धुआँ ज़िन्दगी

 

पता
 

आसमान पिघल गया
सूरज की गर्मी से
और धरा को लाज भी नहीं आयी

मुई अमावस को
चाँद के घर में चोरी हुई
चोर के पैरों के निशान भी नहीं
टिटहरी चीखती रही
तारे आँखें मींचे रहे
रात सिमटी रही अपने आँचल में

चाँद अकेला मर गया
तारे नहीं रोये
और रात को तो पता भी नहीं

नदी बहती रही हवा में
कल कल कल
जुगनू अवश्य चौंकते रहे
इंतज़ार में
पर किसी को कुछ पता नहीं

१५ अक्तूबर २०००

 

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