अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अंशुमान अवस्थी की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
ओ खरीदार

दिनचर्या
धूप के रंग
पता
प्रेम: चार कविताएँ
मैं न आऊँगा
यह कोई व्यथा कथा नहीं
यादें
क्षणिकाएँ
धुआँ धुआँ ज़िन्दगी

  धुआँ धुआँ ज़िन्दगी़

उस पार फुटपाथ पर
तुम खड़ी हो
माथे पर परेशानी की लकीरें
पता नहीं क्यों
सभ्यता तो यहाँ भी है
या फिर घनी बस्ती की ऊब
 
कुछ केंचुए

तड़प रहे हैं घिसट रहे हैं सड़क पर
नालियों का पानी भी रिस आया है
अभी अभी हुई तेज़ बरसात के कारण
बालकनी पर बैठी बुढ़िया बड़बड़ाती है
गीले हो गये अचार पर
कोसती है बारिश को
और फूँक देती है
अंगीठी में अपनी आशाएँ

मचल जाती है मुन्नी
कमरे में भर आये धुएँ पर
थपक देती है दादी उसको
"चाँदी के कटोरवा में दूध भात ले के आाओ
पानी अब भी टपक जाता है
रह रहकर तुम्हारे बालों से

एक टूटी खिड़की से
छिटककर आती सूरज की किरणें
पोत देती हैं बादलों पे लाल रंग
तुम्हारे गालों पे भी
मार लेते हैं कुंडलियाँ
धुएँ के साँप घर लौटती शाम पे
कोई जाके दस्तक दे चाँद सपेरे के घर पे
पर कौन
इस बस्ती में तो बस एक बुढ़िया है
और उसकी पोती
सुलगती हुई अँगीठी
सिसकती हुई नालियाँ हैं
बिसरती लोरियाँ हैं
और सैकड़ों ठूँठ सुलगते हुए

कमरे में बँधी अरगनी पे
टँगी हैं आत्मायें बेबसी के कपड़ों तले
और खूँटी पर टँगे हैं
रंग उतर चुके धुआँ गये मुखौटे
संदूक में ठुसे ढेर सारे सरोकार
मुँह चिढ़ाते रिश्तों के कारोबार
वो भी हैं इस बस्ती में
जो गिनते रहते हैं
तुम्हारे बालों से टपक जाती बूँदें
और बुनते रहते हैं
एक कहानी अपने आसपास
बस ज़िन्दा रहने के लिये
फुटपाथ पर इस पार

१५ अक्तूबर २०००

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter