अनुभूति में
अंशुमान अवस्थी की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
ओ खरीदार
दिनचर्या
धूप के रंग
पता
प्रेम: चार कविताएँ
मैं न आऊँगा
यह कोई व्यथा कथा नहीं
यादें
क्षणिकाएँ
धुआँ
धुआँ ज़िन्दगी |
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मैं न आऊँगा
तुम कितना भी पुकारो
मैं न आऊँगा
जो सोचा वही बोला किया
एक जीवन तर्कों से परे
आसक्ति की मदिरा पी मन बाध्य है
नेह नैनों का तुम्हारे
मैं भले न पाऊँगा पर मैं न आऊँगा
छिद गया तीरों से तन
बिंध गयी आत्मा
यह पीड़ा प्रेम की असाध्य है
मुक्ति माधवऋ तुम्हारी तरह
मैं भले न पाऊंगा पर मैं न आऊँगा
तुम कितना भी पुकारो
मैं न आऊँगा
१५ अक्तूबर २००० |