अनुभूति में
आकुल की रचनाएँ-
दोहों में-
अतिथि पाँच दोहे
नयी कुंडलियों में-
वर दो ऐसा शारदे
कुंडलिया में-
सर्दी का मौसम
साक्षरता
छंदमुक्त में-
झोंपड़ पट्टी
संकलन में-
मेरा भारत-
भारत
मेरा महान
नया साल-
आया
फिर नव वर्ष
देश हमारा-
उन्नत
भाल हिमालय
नीम- नवल बधाई
दीप धरो-
उत्सव गीत
होली है-
होली रंगों से बोली
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अतिथि
१
घर आए जब भी अतिथि, देना ये सुख चार ।
आसन, जल, वाणी मधुर, यथाशक्ति आहार ।।- हंस दोहा
२
समझ अतिथि देवोभव:, देख सदैव प्रभाव ।
स्वागत अरु सत्कार से, बनता नम्र स्वभाव ।।- गयंद दोहा
३
अतिथि सदा परिवार की, रखता है पहचान ।
जाने कब किस मोड़ पर, बन जाए भगवान ।।- पयोधर दोहा
४
अतिथि और रिश्ते सदा, देखें प्रेम स्वभाव ।
नहीं नम्रता के बिना, दिखता है सद्भाव ।।- मर्कट दोहा
५
अतिथि रहो बस चार दिन, फिर कैसा सत्कार ।
ब्याह बाद बारात से, ज्यों रूखा व्यवहार ।।- नर दोहा
१ अगस्त २०२३ |