अनुभूति में अशोक चक्रधर की रचनाएँ-
नई रचनाएँ-
कम से कम
कौन है ये जैनी
तो क्या यहीं?
नया आदमी
फिर तो
बौड़म जी बस में
ससुर जी उवाच
सिक्के की औक़ात
होली में-
होरी सर र र
कविताओं में-
बहुत पहले से भी बहुत पहले
हास्य व्यंग्य में-
गति का कसूर
ग़रीबदास का शून्य
जंगल गाथा
तमाशा
समंदर की उम्र
हँसना रोना
हम तो करेंगे
और एक पत्र - फ़ोटो सहित
स्तंभ-
समस्यापूर्ति
संकलन में-
नया साल-सुविचार |
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हम तो करेंगे
गुनह करेंगे
पुनह करेंगे।
वजह नहीं
बेवजह करेंगे।
कल से ही लो
कलह करेंगे।
जज़्बातों को
जिबह करेंगे
निर्लज्जों से
निबह करेंगे
सुलगाने को
सुलह करेंगे।
हम ज़ालिम क्यों
जिरह करेंगे
संबंधों में
गिरह करेंगे
रस विशेष में
विरह करेंगे
जो हो, अपनी
तरह करेंगे
रात में चूके
सुबह करेंगे
गुनह करेंगे
पुनह करेंगे।
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