मधुर गीत
नवल वर्ष का आगमन पथ सजाकर
दुखों को मिटा स्नेह सरिता बहा कर
भ्रमों को हटा सत्य का राग गा कर
बिछुड़े हुए हर हृदय को मिला कर
प्रणय पंथ में प्रेम दीपक जला कर
अरी लेखनी तू मधुर गीत लिख दें
हमारी तुम्हारी सभी की कहानी
किसी की नवल है किसी की पुरानी
कोई खो रहा आज स्मृति जगत में
कोई ढूँढ़ता आज खोई निशानी
तू कल आज की एक मूरत सजा कर
अरी लेखनी तू मधुर गीत लिख दें
खिलें आस डाली पे विश्वास कलियाँ
हों दीपित सभी अब तिमिर लिप्त गलियाँ
बनाए सभी मिल सुधड़ विश्व अपना
भवन और कुटी में हों दीपों की लडियाँ
यही आस ले आज सबको लुभा कर
अरी लेखनी तू मधुर गीत लिख दे
मिटें बैर की भावनाएँ जगत से
भुलाएँ सभी यातनाएँ विगत से
खिलाएँ सजाएँ सभी सौम्य उपवन
दिखाएँ वही पथ जो जोड़ जगत को
तू सद्भाव की आरती को बना कर
अरी लेखनी तू मधुर गीत लिख दे
भगवत शरण श्रीवास्तव 'शरण'
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