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अनुभूति में सुधांशु उपाध्याय की रचनाएँ— 

ई रचनाओं में-
आधी रात
जो है होनेवाला
फोटो के बाहर चिड़िया
सपना रखना

गीतों में-
आने वाले कल पर सोचो
औरत खुलती है
कथा कहें
कमीज़ के नीचे
काशी की गलिया
ख्वाबों के नए मेघ
खुसरो नहीं गुज़रती रैन
जीने के भी कई बहाने
दरी बिछाकर बैठे
नींद में जंगल
पोरस पड़ा घायल
बात से आगे

हुसैन के घोड़े

 

खुसरो नहीं गुज़रती रैन

खुसरो!
नहीं गुज़रती रैन!

आँके-बाँके दिवस
यहाँ है
कटे-फटे पल दिन
कुशल-क्षेम वाले संबोधन
अब तो हुए कठिन
दिन बदले तो
बदल गए हैं अपनों के भी बैन।
चाभी वाले सभी खिलौने खोज रहे हैं चैन।

पाँवों में जग
रही बिवाई
और जीभ पर छाले
जिनको घर की चाभी सौंपी
बन बैठे घरवाले
फूलों वाले चेहरे लेकिन मुँह में भरी कुनैन।


हैं करील के
पौधे मनबढ़
पाँवों से अझुराते
मुरलीधर हैं नहीं अधर पर
मुरली भी धर पाते
यमुना जल से अब कदंब भी नहीं लड़ाते नैन।

९ जून २००७

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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