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अनुभूति में सुधांशु उपाध्याय की रचनाएँ— 

ई रचनाओं में-
आधी रात
जो है होनेवाला
फोटो के बाहर चिड़िया
सपना रखना

गीतों में-
आने वाले कल पर सोचो
औरत खुलती है
कथा कहें
कमीज़ के नीचे
काशी की गलिया
ख्वाबों के नए मेघ
खुसरो नहीं गुज़रती रैन
जीने के भी कई बहाने
दरी बिछाकर बैठे
नींद में जंगल
पोरस पड़ा घायल
बात से आगे

हुसैन के घोड़े

 

आधी रात

झरे चमेली आधी रात
खुली हथेली आधी रात

खिड़की ने पुरवाई ले ली
गंधों ने अमराई ले ली
सौ के सौवें हिस्से में ही
फूलों ने अँगड़ाई ले ली
जंग लगे दरवाजे बोले
खुली हवेली आधी रात

धीरे धीरे बर्फ गली
ठहरी हुई नदी चली
सौ के सौवें हिस्से में ही
गहरी काली रात ढली
एक किरन आँगन में उतरी
खुलकर खेली आधी रात

वंशी का स्वर तेज हुआ
मौसम भी रंगरेज हुआ
सौ के सौंवें हिस्से में ही
सबकुछ मानीखेज हुआ
गरम दूध में डूब रही है
गुड़ की भेली आधी रात

जंगल में ही राह दिखी
घनी धूप में छाँह दिखी
सौ के सौंवें हिस्से में ही
एक चमकती बाँह दिखी
हम तो एक पहेली थे ही
एक पहेली आधी रात

२९ नवंबर २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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