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अनुभूति में सुधांशु उपाध्याय की रचनाएँ— 

ई रचनाओं में-
आधी रात
जो है होनेवाला
फोटो के बाहर चिड़िया
सपना रखना

गीतों में-
आने वाले कल पर सोचो
औरत खुलती है
कथा कहें
कमीज़ के नीचे
काशी की गलिया
ख्वाबों के नए मेघ
खुसरो नहीं गुज़रती रैन
जीने के भी कई बहाने
दरी बिछाकर बैठे
नींद में जंगल
पोरस पड़ा घायल
बात से आगे

हुसैन के घोड़े

 

जो है होने वाला

आधी दुनिया
काजल पीती
आधी पिये उजाला
उस मंजर को
देख रहा हूँ जो है होने वाला

खिड़की तोड़
नया अब सूरज
भीतर आएगा
बादल बंजर धरती पर आ
नदी बिछाएगा
रामरती ने घर के बाहर
बायाँ पाँव निकाला

उँगली होंठों पर
रखने से बातें नहीं रुकेंगी
लोहे की छत होगी पर
बरसातें नहीं रुकेंगी
पाजेबों के दिन पूरे होते
अब बोलेगा छाला

आवाजों के
भीतर से
अब चुप्पी बोलेगी
हवा उसे छूकर के
बासंती हो लेगी
दरवाजे से आँख
चुराकर भाग रहा है ताला

बहता हुआ
पसीना
यह पहचान बनाएगा
आँखों में
नमकीन नदी का पानी आएगा
रामरती की लड़की ने है
सूरज नया उछाला

२९ नवंबर २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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