अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर' की रचनाएँ-

नया गीत-
सुनो अँधेरा

दो नए गीत
मेरी प्यास
गीत का रचाव

दोहों में-
विवेकानंद दोहे (विवेकानंद जयंती के अवसर पर)
ग्रीष्म के दोहे

अंजुमन में-
कभी खुशी कभी दर्द
दिल में गुलशन आँख में सपना
मन घनश्याम हो गया

गीतों में-
केसर चंदन पानी के दिन
पूछेगी कल मेरी पोती
बाँटते जल चलें
मैं यायावर
लघु प्राण दीप
लड़ते-लड़ते मन हार गया

संकलन में-
मातृभाषा के प्रति- हिंदी की जय जयकार करें
शुभ दीपावली-जीता दीपक

 

कभी खुशी कभी दर्द

कभी खुशी से कभी दर्द से दूरी है
जीना जीना नहीं सिर्फ़ मजबूरी है

बीता जीवन इच्छाएँ पूरी करते
पूरेपन की इच्छा मगर अधूरी है

'सत्यमेव जयते' सिद्धांत अनूठा है
सच में सच जीते यह कहाँ ज़रूरी है

कुछ अपनों के अधरों पर मुस्कान खिले
अपनी सासों की बस यह मजदूरी है

पोर–पोर महका है भीतर बाहर का
शायद मेरी नाभि जगी कस्तूरी है

मुस्कानों के फूल खिल गए यहाँ वहाँ
शायद 'यायावर' मौसम अंगूरी है

1 नवंबर 2006

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter