दिल
में
गुलशन
आँख
में
सपना
दिल में गुलशन आँख में सपना सुहाना रख
आसमाँ की डालियों पर आशियाना रख
हर कदम पर एक मुश्किल ज़िंदगी का नाम
फिर से मिलने का मगर कोई बहाना रख
अर्थ में भर अर्थ की अभिव्यंजना का अर्थ
शब्द की सीमा के आगे भी निशाना रख
कफ़स का ये द्वार टूटेगा नहीं सच है मगर
हौसला रख, अपना ये पर फड़फड़ाना रख
बेसुरी होने लगी है हर सुबह, हर शाम
अपनी साँसों में मगर कोई तराना रख
तेरे जाने पर जिसे दुहराए ये महफ़िल
वक्त की आँखों में इक ऐसा फ़साना रख
दर्द की दौलत से 'यायावर' हुआ है तू
पाँव की ठोकर के नीचे ये ज़माना रख
1 नवंबर 2006
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