अनुभूति में डॉ रामसनेही लाल
शर्मा 'यायावर' की रचनाएँ-
नया गीत-
सुनो अँधेरा
दो नए गीत
मेरी प्यास
गीत का रचाव
दोहों में-
विवेकानंद दोहे (विवेकानंद जयंती के अवसर
पर)
ग्रीष्म के दोहे
अंजुमन में-
कभी खुशी कभी दर्द
दिल में गुलशन आँख में सपना
मन घनश्याम हो गया
गीतों में-
केसर चंदन पानी के दिन
पूछेगी कल मेरी पोती
बाँटते जल चलें
मैं यायावर
लघु प्राण दीप
लड़ते-लड़ते मन हार गया
संकलन में- मातृभाषा के प्रति- हिंदी की जय जयकार करें
शुभ दीपावली-जीता दीपक
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बाँटते जल चलें
हर कदम पर खिलें फूल जब हम चलें
हम नदी की तरह बाँटते जल चलें
हम हँसें तो हँसें ज़िंदगी के सपन
हम खिलें तो खिलें कंटकों में सुमन
स्वर गुंजाती रहे प्रीति की बाँसुरी
खिल खिलाती रहे पाँखुरी–पाँखुरी
गीत की साँस में राग बन ढल चलें
हम बने दीप घनघोर अँधियार को
बाँट अपनत्व को प्रीति को प्यार को
स्वर्ग को इस धरा पर उतारें, उठें
गीत की रागिनी को सँवारें, उठें
आज ही क्यों नहीं, क्यों भला कल चलें
अश्रु के ओठ को मंद मुस्कान दें
शाप के प्राण को दिव्य वरदान दें
झूठ के गाँव में सत्य बन कर जिएँ
दर्दका सिंधु है बन के कुंभज पिएँ
प्यास की देह पर, तृप्ति बन गल चलें
हँस उठेगी धरा, गा उठेगा गगन
देवता झुक धरा को करेंगे नमन
गूँजने स्वर लगेंगे सृजन के यहाँ
घर ने होंगे लुटेरे दमन के यहाँ
हो प्रथम कवि किसी क्रौंच का बल चलें
1 नवंबर 2006
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