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अनुभूति में नितिन जैन की रचनाएँ-


अंजुमन में-
अच्छी खबर कोई
गीत पतझड़ हुए

दूरियाँ कम हुईं
न चिट्ठी न पाती
रास्ते मुश्किल बहुत

गीतों में-
अखंड है भारत देश
अश्रुओं के वेग से
एक आशा की किरण
छँट गए बादल
नेह के दीपक जलाएँ

`

गीत पतझड़ हुए

गीत पतझड़ हुए आजकल गाँव में।
सहमी सहमी सी बैठी ग़ज़ल गाँव में।।

कोई फनकार तस्वीर पूरी करो
हर तरफ है अधूरी शकल गाँव में।।

सुरमयी शाम सरगम न बहती कहीं
दास्ताँ कह रहे बूढ़े हल गाँव में।।

अपने आँगन में थोड़ी सी मिट्टी रखो
देने आए शहर फिर दखल गाँव में।।

अब तो पहचान अपनी ही खोने लगी
इतने मिलने लगे हमशकल गाँव में।।

आ गये दूर लेकिन है ख्वाहिश यही
फिर से पैदा हों बन के फसल गाँव में।।

५ अगस्त २०१३

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