अनुभूति में नितिन जैन की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अच्छी खबर कोई
गीत पतझड़ हुए
दूरियाँ
कम हुईं
न
चिट्ठी न पाती
रास्ते
मुश्किल बहुत
गीतों में-
अखंड है भारत देश
अश्रुओं के वेग से
एक आशा की किरण
छँट गए बादल
नेह के दीपक जलाएँ
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अश्रुओं के वेग से
अश्रुओं के वेग
से
कम्पित है पलकें
आज मेरी
है अकेला
मन ये मेरा
जो है खोया था क्या तेरा ?
चल पड़े उस भोर में हम
साँझ ना जिसकी
सुनहरी
ना हृदय
में धार बहती
रक्त रंजित पीर कहती
है यदि गतिमान जीवन
धार मेरी क्यों
है ठहरी .......
आज तक
ना कह सका मैं
फिर भी इतना सह सका मैं
जाने कैसे बन गई है
अपनों से ये
खाई गहरी
११ फरवरी २०१३
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