अनुभूति में
माहेश्वर तिवारी की रचनाएँ-
गीतों में-
आओ हम धूप वृक्ष काटें
एक तुम्हारा होना
गहरे गहरे से पदचिह्न
छोड़ आए
झील
पर्वतों से दिन
बहुत दिनों बाद
मूँगिया हथेली
याद तुम्हारी
सारा दिन पढ़ते अख़बार
सोए हैं पेड़
संकलन में-
वसंती हवा-शाम
रच गई
धूप के पांव-धूप
की थकान
प्रेम कविताएँ-
तुम्हारा होना
|
|
सोये हैं पेड़
कुहरे में
सोये हैं पेड़
पत्ता-पत्ता नम है
यह सबूत क्या कम है
लगता है
लिपट कर टहनियों से
बहुत-बहुत
रोए हैं पेड़
जंगल का घर छूटा,
कुछ कुछ भीतर टूटा
शहरों में
बेघर होकर जीते
सपनों में खोये हैं पेड़
|