अनुभूति में
माहेश्वर तिवारी की रचनाएँ-
गीतों में-
आओ हम धूप वृक्ष काटें
एक तुम्हारा होना
गहरे गहरे से पदचिह्न
छोड़ आए
झील
पर्वतों से दिन
बहुत दिनों बाद
मूँगिया हथेली
याद तुम्हारी
सारा दिन पढ़ते अख़बार
सोए हैं पेड़
संकलन में-
वसंती हवा-शाम
रच गई
धूप के पांव-धूप
की थकान
प्रेम कविताएँ-
तुम्हारा होना
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एक तुम्हारा
होना
एक तुम्हारा
होना
क्या से क्या कर देता है
बेजुबान छत‚ दीवारों को
घर कर देता है
खाली शब्दों में
आता है
ऐसा अर्थ पिरोना
गीत वन गया-सा
लगता है
घर का कोना-कोना
एक तुम्हारा होना
सपनों को स्वर देता है
आरोहों अवरोहों से
समझाने
लगती हैं
तुमसे जुड़कर
चीजें भी
बतियाने लगती हैं
एक तुम्हारा होना
अपनापन भर देता है
एक तुम्हारा होना
क्या से क्या कर देता है
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