अनुभूति में
माहेश्वर तिवारी की रचनाएँ-
गीतों में-
आओ हम धूप वृक्ष काटें
एक तुम्हारा होना
गहरे गहरे से पदचिह्न
छोड़ आए
झील
पर्वतों से दिन
बहुत दिनों बाद
मूँगिया हथेली
याद तुम्हारी
सारा दिन पढ़ते अख़बार
सोए हैं पेड़
संकलन में-
वसंती हवा-शाम
रच गई
धूप के पांव-धूप
की थकान
प्रेम कविताएँ-
तुम्हारा होना
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आओ हम धूप वृक्ष
काटें
आओ हम धूप वृक्ष
काटें
इधर-उधर हलकापन बाँटें
अमलतास गहरा कर फूले
हवा नीम गाछों पर झूले,
चुप हैं गाँव, नगर, आदमी
हमको तुमको सबको भूले
हर तरफ घिरी-घिरी उदासी
आओ हम मिल-जुल कर छाँटें
परछाईं आ करके सट गयी
एक और गोपनता छँट गयी,
हल्दी के रंग-भरे कटोरे-
किरन फिर इधर-उधर उलट गयी
वह पीलेपन की गहराई
लाल-लाल हाथों से पाटे
आओ हम धूप वृक्ष काटें
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