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अनुभूति में अनिरुद्ध नीरव की रचनाएँ-

नये गीतों में-
एक एक बाल पर
गंध गीत
गोरस की मटकी
घोड़ा थका हुआ
वक्र रेखाएँ

गीतों में-
जंगल में रात
भोर
दोपहर
पात झरे हैं सिर्फ़
बच्चा कहाँ खेले
रात
संध्या

 

रात

ढरक गया नेह
नील ढालों पर
शिखरों की पीर व्योम
पंखिनी
पावों में
टूटता रहा सूरज
कांधे चुभती रही
मयंकिनी,

भृंग, सिंह,
आंख पांख की बातें
कुतुहल कुछ स्नेह
कुछ संकोच भी,
पीड़ों पर
रीछ पांज के निशान
मन में कुछ याद के खरोंच भी
विजनीली हवा
कण्व-कन्या सी
पातों पर प्रेमाक्षर अंकिनी,

थन भरे
बथान से अलग बंधे
बछड़ा
खुल जाने की शंका,
ग्वालिन की बेटी
की पीर नई
नैन उनींदे उमर प्रियंका
कड़ुए तेल का
दिया लेकर
गोशाला झांकती सशंकिनी।

२२ जून २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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