अनुभूति में
अनिरुद्ध नीरव की
रचनाएँ- नये गीतों में-
एक एक बाल पर
गंध गीत
गोरस की मटकी
घोड़ा थका हुआ
वक्र रेखाएँ
गीतों में-
जंगल में रात
भोर
दोपहर
पात झरे हैं सिर्फ़
बच्चा कहाँ खेले
रात
संध्या
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एक एक बॉल पर
देखता क्रिकेट
एक आदमीसूखी सी डाल पर
तालियाँ बजाता हैएक एक बॉल पर
मन में स्टेडियम
प्रवेश कीचाहत तो है
लेकिन हैसियत नहींइतनी
ऊँचाई परभीड़ भाड़ गरमी से
राहत तो है
लेकिन कैफियत नहीं,
भागा है काम से
नहीं गयाआज वह खटाल पर
दिखता है
खास कुछ नहीं लेकिन
भीतर हैनन्हा सा आसरा
इधर उठेगाकोई ‘छक्का’ तो
घूमेगा स्वतः कैमरा
पर्दे पर आने की
यह ख्वाहिश
कितना भारी आटे दाल पर
११ नवंबर २०१३
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