अनुभूति में
अनिरुद्ध नीरव की
रचनाएँ- नये गीतों में-
एक एक बाल पर
गंध गीत
गोरस की मटकी
घोड़ा थका हुआ
वक्र रेखाएँ
गीतों में-
जंगल में रात
भोर
दोपहर
पात झरे हैं सिर्फ़
बच्चा कहाँ खेले
रात
संध्या
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बच्चा कहाँ खेले?
इस मुहल्ले में
नहीं मैदान
बच्चा कहाँ खेले?
घर
बहुत छोटाबिना आंगन
बिना छत और बाड़ी,
गली में
माँ की मनाही
तेज़ आटो तेज़ गाड़ी
हाथ में बल्लामगर मुँह म्लान
बच्चा कहाँ खेले?
एक
नन्हें दोस्तके संग
बाप की बैठक निहारे
एक गुंजाइश
बहुत संकरी लगे
सोफ़ा किनारे
बीच में परकाँच का गुलदान
बच्चा कहाँ खेले?
खेल बिन
बच्चाबहुत निरुपाय
बहुत उदास है
खेल का होना
बिना बच्चा
नहीं कुछ ख़ास है
रुक गई हैबाढ़ इस दौरान
बच्चा कहाँ खेले?
२२
जून २००९ |