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अनुभूति में अनिलकुमार वर्मा की रचनाएँ

घनाक्षरी में-
तीन घनाक्षरी छंद

गीतों में—
आँगन पावन तुलसी
किधर जा रहे राधेश्याम
नयनों में झलक रही
रामभरोसे, बैठे सोचें
सिंदूरी सपने

संकलन में-
मेरा भारत- प्रजातंत्र टुकुर टुकुर ताके
मातृभाषा के प्रति- आओ हिंदी दिवस मनाएँ
होली है- फागुन के अजब गजब रंग
ममतामयी- मातृशक्ति वंदना
बेला के फूल- पिछवाड़े बेला गमके
वर्षा मंगल- रिमझिम बरसात में

  तीन घनाक्षरी छंद

एक

राजनीति सम्प्रदाय पंथवाद से विलग
तेरी कृपाकोर पूरे राष्ट्र-परिवार पर
मानसिक उहापोह द्वन्द्व के तनाव मध्य
कल्पनायें कुंद हुईं भाव भी उतार पर
नवगति नवलय नवछन्द गढ़ने को
थोड़ी सी कृपा-कटाक्ष कीजै खड़ा द्वार पर
काव्य की त्रिवेणी कोख प्रकटे अमृत पात्र
नित्य धरो शान मातु, शब्द शर धार पर

दो

एक ही विधाता ने रचाई है सकल सृष्टि
मात्र तन नश्वर किन्तु आत्मा अमर्त्य है
मानव प्रजाति में भी क्षमता के अनुरूप
हर एक जन हित निर्धारित कृत्य है
कर्म के विधान से सचराचर गतिमान
इसमें न उच्च कोई न ही कोई भृत्य है
अग झूठ जग झूठ लोक-परलोक झूठ
लीलाधर माधव की लीला मात्र सत्य है

तीन

गीतकार छंदकार या कि हो गजलकार
सभी को घमंड जैसे छंद अलंकार पर
आर हो या पार चाहे बीच मझधार नाव
माँझी को घमंड जैसे पुष्ट पतवार पर
नवयौवना हो चाहे उम्र की ढलान पर
नारी को घमंड जैसे रूप के निखार पर
सम्मुख खड़ा हो कितना भी बलशाली शत्रु
वीर को घमंड आत्मबल असि धार पर

१ दिसंबर २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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