पिंगल का ज्ञान नहीं
जानूँ लय छंद ना
कैसे लिखूँ वंदना
मातृशक्ति वंदना।
दल, बल, छल के प्रपंच
अम्बर तक छाये
बिन बरखा, शीत, घाम
अंकुर मुरझाये
धन धान्य की देवी!
नष्ट करो वंचना
मातृशक्ति वंदना।
जाति वर्ग सम्प्रदाय
के अदभुत नारे
जन जन में छद्म युद्ध
थोपें नित न्यारे
नमो देवि चण्डिके!
शीघ्र करो गर्जना
मातृशक्ति वंदना।
क्षितिज द्वार बंद पड़े
चहुँदिशि अँधियारे
लुंठित तन, कुण्ठित मन
नियति के सहारे
देवि हंसवाहिनी!
गढ़ो नवल सर्जना
मातृशक्ति वंदना
- अनिल कुमार वर्मा
१५ अक्तूबर २०१५ |