अनुभूति में अनिलकुमार
वर्मा
की रचनाएँ—
गीतों में—
आँगन पावन तुलसी
किधर जा रहे राधेश्याम
नयनों में झलक रही
रामभरोसे, बैठे सोचें
सिंदूरी सपने
संकलन में-
मेरा भारत-
प्रजातंत्र टुकुर टुकुर ताके
मातृभाषा के प्रति-
आओ हिंदी दिवस मनाएँ
होली है-
फागुन
के अजब गजब रंग
ममतामयी-
मातृशक्ति वंदना
बेला के फूल-
पिछवाड़े बेला गमके
वर्षा मंगल-
रिमझिम बरसात में
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सिंदूरी सपने
सिंदूरी सपने
पल-छिन
हरसिंगार फूल से झरें
झाँक गयी वातायन से
मंद-मंद बहती पुरवा
चुपके-चुपके जाने कब
खोल गयी पृष्ठ अनछुआ
बेटी की ओर ताकती
अम्मा का माँगना दुआ
होनी-अनहोनी संभ्रम
अंतस में हूक सी भरें
जाड़े की बरखा में भी
छप्पर का टप-टप संगीत
श्रमिकों के चूल्हों पर ही
बढ़ती मंहगाई की प्रीत
सड़कों से पगडंडी तक
गुमसुम हैं, रोटी के गीत
जीवन भर आपाधापी
झरबेरी बेर सी फरें
१५ जनवरी २०१६
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