अमृत खरे
जन्म : २५ जनवरी १९५८ को।
शिक्षा : विज्ञान-स्नातक
कार्यक्षेत्र : बैंक में अधिकारी एवं स्वतंत्र लेखन। रचनाएँ
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा आकाशवाणी-दूरदर्शन
से प्रसारित, मूलत: गीत-कवि, किन्तु साहित्य की लगभग सभी
विधाओं में सृजन, साहित्यिक त्रैमासिक 'क्षेपक' का लगभग दस
वर्षों तक प्रकाशन-सम्पादन, पूर्व में दिल्ली-प्रेस की
पत्रिकाओं, 'सरिता' और 'मुक्ता' का लखनऊ विश्वविद्यालय में
छात्र-प्रतिनिधि, कविता-पाठ पर आधारित आडियो कैसेट 'गोष्ठी'
की परिकल्पना और प्रस्तुति, अनेक रचनाएँ पाठ्यक्रमों में
टेलिफिल्मों, 'बांसुरी' तथा 'मेरा बेटा' और दूरदर्शन
धारावाहिक 'गाथा गोपालगंज' के लिये कथा, पटकथा, संवाद एवं
गीत-लेखन, आजकल वैदिक मंत्रों के गीत अनुवाद में संलग्न,
गीत-संग्रहों तथा वैदिक-मंत्रों के काव्यानुवाद पर आधारित
ग्रन्थ शीघ्र प्रकाश्य
संप्रति : बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत (टेलर)
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अनुभूति में
अमृत खरे की
रचनाएँ- गीतों में-
अभिसार गा रहा हूँ
गुजरती रही जिंदगी
जीवन की भूल भुलैया
जीवन एक कहानी है
देह हुई मधुशाला
फिर याद आने लगेंगे
फिर वही नाटक |