अनुभूति में
शिवमंगल सिंह 'सुमन' की रचनाएँ-
कविताओं में :
अंगारे और धुआँ
तूफ़ानों की ओर
चलना हमारा काम है
मेरा देश जल रहा
विवशता
सूनी साँझ
संकलन में-
वर्षा मंगल -
मैं अकेला और पानी बरसता है
प्रेमगीत - आँखें
नहीं भरी
गुच्छे भर अमलतास-
चल रही उसकी कुदाली
ज्योतिपर्व-
मृत्तिका
दीप
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सूनी साँझ
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम।
पेड़ खड़े फैलाए बाँहें
लौट रहे घर को चरवाहे
यह गोधूली! साथ नहीं हो तुम
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम।
कुलबुल कुलबुल नीड़-नीड़ में
चहचह चहचह मीड़-मीड़ में
धुन अलबेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम।
जागी-जागी सोई-सोई
पास पड़ी है खोई-खोई
निशा लजीली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम।
ऊँचे स्वर से गाते निर्झर
उमड़ी धारा, जैसी मुझपर -
बीती झेली, साथ नहीं हो तुम
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम।
यह कैसी होनी-अनहोनी
पुतली-पुतली आँखमिचौनी
खुलकर खेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम। |