अनुभूति में सोहनलाल द्विवेदी की रचनाएँ -
कविताओं में - अलि रचो छंद खादी गीत गिरिराज नयनों की रेशम डोरी से मातृभूमि प्रकृति संदेश पूजा गीत जय राष्ट्र निशान भारत रे मन वंदना हिमालय
संकलन में - तुम्हें नमन- युगावतार गांधी मेरा भारत- भारतवर्ष वसंती हवा- बसंत जग का मेला- नटखट पांडे ज्योति पर्व- जगमग जगमग
वंदना के इन स्वरों में, एक स्वर मेरा मिला लो।
वंदिनी मा को न भूलो, राग में जब मत्त झूलो,
अर्चना के रत्नकण में, एक कण मेरा मिला लो।
जब हृदय का तार बोले, शृंखला के बंद खोले,
हों जहाँ बलि शीश अगणित, एक शिर मेरा मिला लो।
इस रचना पर अपने विचार लिखें दूसरों के विचार पढ़ें
अंजुमन। उपहार। काव्य चर्चा। काव्य संगम। किशोर कोना। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथ। दोहे। रचनाएँ भेजें नई हवा। पाठकनामा। पुराने अंक। संकलन। हाइकु। हास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर। समस्यापूर्ति
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है