अनुभूति में
सोहनलाल द्विवेदी
की रचनाएँ -
कविताओं में -
अलि रचो छंद
खादी गीत
गिरिराज
नयनों की रेशम डोरी से
मातृभूमि
प्रकृति संदेश
पूजा गीत
जय राष्ट्र निशान
भारत
रे मन
वंदना
हिमालय
संकलन में -
तुम्हें नमन-
युगावतार गांधी
मेरा भारत-
भारतवर्ष
वसंती हवा-
बसंत
जग का मेला-
नटखट पांडे
ज्योति पर्व-
जगमग जगमग
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अलि रचो छन्द
अलि रचो छन्द
आज कण कण कनक कुन्दन,
आज तृण तृण हरित चंदन,
आज क्षण क्षण चरण वन्दन
विनय अनुनय लालसा है।
आज वासन्ती उषा है।
अलि रचो छन्द
आज आई मधुर बेला,
अब करो मत निठुर खेला,
मिलन का हो मधुर मेला
आज अधरों में तृषा है।
आज वासन्ती उषा है।
अलि रचो छन्द
मधु के मधु ऋतु के सौरभ के,
उल्लास भरे अवनी नभ के,
जड़जीवन का हिम पिघल चले
हो स्वर्ण भरा प्रतिचरण मंद
अलि रचो छन्द। |