अनुभूति में
नागार्जुन की रचनाएँ-
गीतों में-
अग्निपथ
उनको प्रणाम
कालिदास सच सच बतलाना
जान भर रहे हैं जंगल में
पीपल के पत्तों पर
छंदमुक्त में-
बरफ़
पड़ी है
अग्निबीज
बातें
भोजपुर
गुलाबी चूड़ियाँ
सत्य
दोहों में-
नागार्जुन के दोहे
संकलन में-
वर्षा मंगल-
बादल को घिरते देखा है
गाँव में अलाव-
बरफ़ पड़ी है
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अग्निपथ
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ |