अनुभूति में
नागार्जुन की रचनाएँ-
गीतों में-
उनको प्रणाम
कालिदास सच सच बतलाना
जान भर रहे हैं जंगल में
पीपल के पत्तों पर
छंदमुक्त में-
बरफ़
पड़ी है
अग्निबीज
बातें
भोजपुर
गुलाबी चूड़ियाँ
सत्य
दोहों में-
नागार्जुन के दोहे
संकलन में-
वर्षा मंगल-
बादल को घिरते देखा है
गाँव में अलाव-
बरफ़ पड़ी है
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बातें
बातें -
हँसी में धुली हुईं
सौजन्य चंदन में बसी हुई
बातें -
चितवन में घुली हुईं
व्यंग्य बंधन में कसी हुईं
बातें -
उसाँस में झुलसीं
रोष की आँच में तली हुईं
बातें -
चुहल में हुलसीं
नेह-साँचे में ढली हुईं
बातें -
विष की फुहार-सी
बातें -
अमृत की धार-सी
बातें -
मौत की काली डोर-सी
बातें -
जीवन की दूधिया हिलोर-सी
बातें -
अचूक वरदान-सी
बातें -
घृणित नाबदान-सी
बातें -
फलप्रसू, सुशोभन, फल-सी
बातें -
अमंगल विष-गर्भ शूल-सी
बातें -
क्य करूँ मैं इनका?
मान लूँ कैसे इन्हें तिनका?
बातें -
यही अपनी पूँजी, यही अपने औज़ार
यही अपने साधन, यही अपने हथियार
बातें -
साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा
बना लूँ वाहन इन्हें घुटन का, घिन का?
क्या करूँ मैं इनका?
बातें -
साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा
स्तुति करूँ रात की, ज़िक्र न करूँ दिन का?
क्या करूँ मैं इनका?
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