अनुभूति में हरिवंशराय बच्चन की रचनाएँ-
गीतों में- इस पार उस पार एकांत संगीत क्या भूलूँ क्या याद करूँ कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ कोई पार नदी के गाता जीवन की आपाधापी में जो बीत गई सो बात गई ड्राइंगरूम में मरता हुआ गुलाब तुम मुझे पुकार लो दिन जल्दी-जल्दी ढ़लता है पथ की पहचान बहुत दिनों पर मेरा संबल युग की उदासी लहरों का निमंत्रण
संकलन में-- ज्योति पर्व- आज फिर से, आत्मदीप प्रेमगीत- आदर्श प्रेम मेरा भारत- आज़ादी का गीत, चल मरदाने
गौरव ग्रंथ में-- मधुशाला
मैं जीवन की हर हल चल में कुछ पल सुखमय अमरण अक्षय चुन लेता हूँ।
मैं जग के हर कोलाहल में कुछ स्वर मधुमय उन्मुक्त अभय सुन लेता हूँ।
हर काल कठिन के बन्धन से ले तार तरल कुछ मुद मंगल मैं सुधि पट पर बुन लेता हूँ।
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