अनुभूति में
मीनाक्षी धन्वन्तरि की
रचनाएँ-
नई
रचनाओं में-
तोड़ दो सारे बंधन
निष्प्राण
बादलों की शरारत
रेतीला रूप
छंदमुक्त में-
मेरा अनुभव
गीतों में
किनारे से लौट आई
युद्ध की आग में
निराश न हो मन
संकलन में-
वसंती हवा-
वासंती वैभव
धूप के पाँव-
माथे पर
सूरज
शुभ दीपावली-
प्रकाश या अंधकार
फूले फूल कदंब-
वर्षा
ऋतु में
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किनारे से लौट आई
समुद्र में दूर तक तैरना चाहा
लहरों से दूर तक खेलना चाहा
पर किनारे से लौट आई
वारिधि की गहराइयों में उतरना चाहा
भंवरों में उसकी डूबना चाहा
पर किनारे से लौट आई
रत्नाकर की गर्जना को सुनना चाहा
सिन्धु तल की थाह को पाना चाहा
पर किनारे से लौट आई
सागर में रवि को उतरते देखना चाहा
चद्रं किरणों औ' लहरों से मिल खेलना चाहा
पर किनारे से लौट आई
उसके प्यार की गंभीरता को परखना चाहा
अपने आसितत्त्व को उस पर मिटान चाहा
पर किनारे से लौट आई
१६ मार्च २००१ |