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शुभ दीपावली
अनुभूति पर दीपावली कविताओं की तीसरा संग्रह
पहला संग्रह
ज्योति पर्व
दूसरा संग्रह दिए जलाओ
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प्रकाश या अंधकार
सब ओर प्रकाश ही
प्रकाश है
पर आँखों में सिर्फ अंधकार है!
मुख पर उल्लास ही उल्लास है
पर ह्रदय में गहरा विषाद है!
अधरों पर मुस्कान ही मुस्कान है
पर वाणी में विष से कड़ुवाहट है!
विश्व तन में प्राण ही प्राण हैं
पर मन उसका निष्प्राण है!
सब ओर प्रकाश ही प्रकाश है
पर आँखों में सिर्फ अंधकार है!
मानव-मन में घृणा ही घृणा है
पर स्नेह पाने की आस है!
जो अंधकार दे आँखों को,
यह कैसा प्रकाश है ??
जो निष्प्राण कर प्राणों को,
मीनाक्षी धन्वंतरि
9 नवंबर 2007
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