अनुभूति में
मीनाक्षी धन्वन्तरि की
रचनाएँ-
नई
रचनाओं में-
तोड़ दो सारे बंधन
निष्प्राण
बादलों की शरारत
रेतीला रूप
छंदमुक्त में-
मेरा अनुभव
गीतों में
किनारे से लौट आई
युद्ध की आग में
निराश न हो मन
संकलन में-
वसंती हवा-
वासंती वैभव
धूप के पाँव-
माथे पर
सूरज
शुभ दीपावली-
प्रकाश या अंधकार
फूले फूल कदंब-
वर्षा
ऋतु में
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धूल और रेत
(हाइकु)
प्याला हो जैसे
रेत में डूबा रवि
आधा भरा सा
धूल के कण
पत्तों पर पसरे
चमकीले से
सिर चढ़ती
धूल है नकचढ़ी
चिड़चिड़ी सी
धूल ही धूल
हवा तूफ़ानी तेज़
दम घुटता
धूसर पेड़
धूल भरी शाखाएँ
पत्तों पे गर्द
नभ ने ओढ़ा
धरती का आँचल
मटमैला सा
१७ अक्तूबर २०११
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