बम विस्फोट और सुनामी (हाइकु में)
बम विस्फोट
हिल गया है
तेज से धमाकों से
सारा शहर
चूर हो गया
सपनों का महल
पल भर में।
दर्द नहीं है
दरिंदों के दिलों में
बस तबाही।
रूह तड़पी
आत्मा सिहर गई
मंज़र ऐसा।
जला ही डाला
इंसानों का काफ़िला
बम कांड ने।
पहले फला
जैसे अमर बेल
अब है जला।
दर पर हैं
इंतज़ार में सभी
वो नहीं लौटे।
सुनामी
नाचती मौत
बेबसों के घर में
रूप सुनामी।
बाढ़ का पानी
पहुँचा जो गाँव में
मची तबाही।
16 मार्च 2007
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