नभ, चाँद और रास्ता (हाइकु में)
थका है पंछी
विस्तृत है गगन
ज़ख़्मी हैं पंख
चल रही हैं
धूल भरी आँधियाँ
खोया है रास्ता
सीप से मोती
जैसे झांक रहा हो
नभ में चाँद
नाचता चाँद
झूमते गाते तारे
संग हमारे
नभ है झूला
तारे बच्चों का रेला
चाँद झुलाए
मुख पे तेरे
चाँदनी की ओढ़नी
चाँद की नथ
तड़पा नभ
दूर हो धरती से
बरस पड़ा
थी मीलों तक
गहरी सी ख़ामोशी
तूफाँ के बाद
चाहो अगर
छूना आसमान को
फैलाओ पंख
चमकती थी
दुल्हन की तरह
चाँदनी रात
चाँदनी रात
जुगनुओं का साथ
हाथ में हाथ
प्यासा सागर
सर्द हुआ सूरज
चाँद झुलसा
२४ नवंबर २००८
|