गर्मी के दिन (हाइकु में)
आ गए फिर
उबाऊ से ये दिन
उदासी लिये
दौड़ती आई
जून की दोपहरी
बरसे आग
लेटी थी धूप
सागर तट पर
प्यास बुझाने
हंसों का जोड़ा
तैरता पानी पर
किल्लोलें करे
सूखे अधर
थकी प्यासी धरा के
देखे आसमां
छाया तलाशें
पथ के राहगीर
उजड़े वृक्ष
चुप्पी सी साधे
खोया खोया सा मिला
था फुटपाथ
जीना बेहाल
सूखे पड़े हैं ताल
पड़ा आकाल
व्यथित हुए
कोमल तन पुष्प
जलाए धूप
पंखे से बने
गर्मी के मौसम में
पात वृक्ष के
७ जून २०१०
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