अनुभूति में
अवतंस कुमार
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अहसास
आज मुझे तुम राह दिखा दो
दरमियाँ
पैबंद
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शाम और शहर
पत्ता और बुलबुला
मैं और मेरी तनहाई
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खुशियाँ
ये छोटे-छोटे लम्हे
ये बड़ी-बड़ी खुशियाँ
वो पहली बार तेरा करवट बदलना
उठके सम्हलना चलना और गिरना
उन प्यालियों के खनकने
और टूटने की खुशियाँ
वो क्षण-भर को मुस्कुराना
मेरी कानों को खींचना
उन लम्बी रातों की कवायद
फिर सोने की खुशियाँ
वो हाथी, घोड़े, और बुलबुल पकड़ना
वो झूलों की पींगें और तारों को छूना
उन बेतुके गानों पर
नाचने की खुशियाँ
खुशियों की गठरी और जन्नत की परियाँ
बागों की तितली और फूलों की कलियाँ
वो खिलखिलाहट, वो किलकारियाँ
वो हँसना हँसाना
तुमसे है रौशन मेरे खाबों की दुनियाँ
३१ मई २०१०
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