अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अवतंस कुमार की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
क़द्रदान
का से कहूँ
खुशियाँ

हादसा

छंदमुक्त में-
अहसास
आज मुझे तुम राह दिखा दो
दरमिया
पैबंद

विवेक
शाम और शहर
पत्ता और बुलबुला

मैं और मेरी तनहाई

 

कद्र-दान

मय से बोझिल रूमानी रात में
अफकारे महवश में डूबे तसव्वुर
निहाँ सरगोशी किये
चाँदनी के हम-आगोश माशूक की
जुल्फों में उलझे सितारों को चुनते-चुनते
रूखे हिजाब से दुपट्टा जो उठा
हम तो बा-खुदा परेशाँ हो गए।

लफ्ज़ हुए महफूज़, साँसें हुईं गर्म
और निगाहों का फलसफा जब
होठों पै आके सिमटा
हम तो बा-खुदा बे-इख्तियार हो गए।

जुनूने मोहब्बत में लिपट के दामने यार से
रफ्ता-रफ्ता किए इन्तेजारे सहर
जो है हर सबे फुरकत का अंजाम सहर
हम तो बा-खुदा कद्र-दान हो गए।

३१ मई २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter