अनुभूति में अर्चना हरित की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
चाह
तड़प
ले चलो मुझे मेरे साथी
तुकांत में-
अमर प्रेम
ज़िन्दग़ी
धु्रव तारा
संकलन में-
ममतामयी–मां के लिये
गुच्छे भर अमलतास–गर्मी की एक दोपहर
ज्योति पर्व–स्नेह दीप
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जिन्दगी
जिन्दगी
जब भी तुझे सोचती हूँ
मन में सवाल पाती हूँ
हर एक की तू अपनी है
फिर भी अलग लगती है
सब तुझी को सोचते हैं
पहचान नहीं पाते हैं
कसूर तेरा ही समझते हैं
तू जो हर एक की अपनी परछाईं है
तेरा अपना वजूद कहाँ है
हर एक के कर्मों के रंग
तुझमें झलकते हैं
कभी खुशी का पल दिखाती है
तो कभी आँसुओं को बहाती है
और मैं भी खामोशी से
तेरा यह बदलता रूप देखती हूँ
और सोचती हूँ जिन्दगी
तुम्हारा अपना क्या रूप रंग है
क्या तुम भी खुद को ढूँढ़ती हो
अपना वजूद हम सब में खोजती हो...
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