अनुभूति में अर्चना हरित की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
चाह
तड़प
ले चलो मुझे मेरे साथी

तुकांत में-
अमर प्रेम
ज़िन्दग़ी
धु्रव तारा

संकलन में-
ममतामयी–मां के लिये
गुच्छे भर अमलतास–गर्मी की एक दोपहर
ज्योति पर्व–स्नेह दीप

  चाह

तुमको मैं अपनी कविताओं में चाहती हूँ
वैसे ही जैसे धरती आकाश को छूती है

मन मेरा तितली की तरह समय का कैदी नहीं
क्यों कि इतना वक्त तो है कि तुमको चाह सके

प्रेम एक रहस्य होता है बोल बतला कर भी
क्यों कि इसको महसूस करता है प्रेमी प्यार में

मन की भावना को दर्शाना आजादी नहीं
क्यों कि मन तो आजाद है किसी तितली की तरह

तुमको चाहना कोई 'अर्चना' नहीं है मेरी
तुमको पाना ही तो किस्मत है मेरी . . .
 

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