अनुभूति में अर्चना हरित की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
चाह
तड़प
ले चलो मुझे मेरे साथी

तुकांत में-
अमर प्रेम
ज़िन्दग़ी
धु्रव तारा

संकलन में-
ममतामयी–मां के लिये
गुच्छे भर अमलतास–गर्मी की एक दोपहर
ज्योति पर्व–स्नेह दीप

 

  तड़प

जब भी कोयल गीत गाती है
तेरी याद मेरे दिल में आती है
मेरा दिल मचलने लगता है
तेरा नाम हवा भी गुनगुनाती है  
दिल के अहसास कलम जब लिखती है
तेरे नाम शायरी बन जाती है
मेरे लबों पर जब तेरा नाम आता है
प्रेम धुन हवा भी गुनगुनाती है 
कैसे कोई छुपाये जब दिल तड़पता है
नयनों में बेकरारी झलक जाती है
जब भी कोयल कूकती मेरे आंगन है
उमंग बढ़ाती हवा भी गुनगुनाती है  
जरा बता दे हवा क्या ऐसे उनको भी होता है
मेरी याद में दिल खयाल-ए-यार का भी तड़पता है
जब भी कोयल गीत गाती है
मेरी याद क्या उनके दिल में आती है?

ले चलो मुझे मेरे साथी
किसी ऐसी जगह जहाँ मेरा मन आज़ाद हो
जहाँ मेरा सर गर्व से उंचा हो
जहाँ सरस्वती की वीणा मधुर सुर ताल से बजती हो
जहाँ संसार हदों और लकीरों में ना बंधा हो
ले चलो मुझे मेरे साथी . . .
किसी ऐसी जगह जहाँ शब्द सच्चाई की गहराई से
आते हों
कोई ऐसी जगह जहाँ मेहनत मंज़िल में बदलती हो
जहाँ कल्पना ने अपने पंख ना खोये हों
जहाँ मजबूरी आदत में ना बदलती हो
ले चलो मुझे मेरे साथी . . .
किसी ऐसी जगह जहाँ धरती आकाश एक हों
जहाँ स्वर्ग की सी आज़ादी हो
जहाँ मेरे देश में जाग्रति हो
जहाँ हर मन मंदिर में अर्चना हो
 

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